सोमवार, 18 मई 2020

Supreme court versus Madras High court

आज पुन: कुल दुर्घटनाओं में 34 मजदूर काल कवलित हो गए | इस ह्रदय विदारक घटना का सबसे दुखद पहलू यह रहा कि 5 मासूम अनाथ हो गए ज़िनके पास सिर्फ माँ थी | प्रवासी मजदूर की दयनीय हालात पर मद्रास हाई कोर्ट की टिप्पणी आयी थी '' मजदूरों की यह हालत देख कर कोई भी अपने आंसू नही रोक सकता '' वहीं एक याचिका पर एक दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट की भी टिप्पणी आयी थी कि '' रात को कोई खुद ही पटरी पर सो जाये तो उसे कैसे रोक सकते हैं | '' (दैनिक भास्कर , 16 मई ) | यह विचार भिन्नता न्याय की असमिता पर प्रश्न चिन्ह दागता तो अवश्य है , चुकि सुप्रीम कोर्ट का फर्ज था कि वह त्रूटी श्रोत को चिन्हित कर मजदूर हित में आवश्यक दिशा निर्देश केन्द्र सरकार को देती | परिणाम में इस कठिन समय में भी मजदूरों के दिल को कुछ ठंडक तो जरूर मिलती | मैने जब कुछ लोगों के पास यह बात स्पष्ट करनी चाही तो न जाने क्यूँ , कैसे हुआ कि यह बात हिन्दुत्व की परिभाषा में उलझती चली गयी और वे सब मेरे खिलाफ हो गए और मुझे घेरने की कोशिश करने लगे | जहां तक मैं खुद को समझता हूँ कि मैं एक सच्चा हिन्दू हूँ | सभी धर्मों का मर्म एक है , समझता हूँ | मेरी तरफ से धिक्कार है उनको , ज़िन्हे श्री राम जी सिर्फ अयोध्या में ही दिखते है | नही दिखता मजदूरों के अंदर , जो आज भी दीन - हीन को सम्बल दे रहे है , मानो कह रहे हैं कि तुम्हे बार - बार गिर कर भी बार - बार उठना है | आसूओं से लिखा जायेगा यह काला इतिहास | आने वाली पीढिओं के मासूमों को यह डरायेगी | बाल मन उस वक़्त भी कुरेदेंगी नानी - दादी को , सुनेगें आज के भयावह किस्से | उल्टेंगे , पुल्टेंगे , खोजने की कोशिश करेंगें उनके पैर के छालों को | इसके झंडा वरदार श्री राम जी को तब भी भूनायेंगें | लोगों को श्री राम के ही नाम पर पुन: भरमायेंगे , कहेंगें - दशरथ नन्दन नही , जय श्री राम कहो , जो नही कहेंगें उन्हे ये देश द्रोही य़ा पाकिस्तान की राह दिखलायेंगें | चलता रहेगा यह खेल यूँ ही | अफसोस हम न रहेंगें और हिन्दू ही हिन्दुत्व की भूल भुलैया में भटकता रहेगा |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Padam shree mukutdhar Pandey ji

 *पदम श्री मुकुटधर पाण्डेय जी पर शोध पत्र* -----पगडंडियों मे धूप की तपन गांव के जिंदा होने का बोध कवि हृदय में भारत के स्पंदन का प्रमाण देती...