आर्थिक सुधार पैकेज की सामाजिक समीक्षा
आर्थिक सुधारो के लिये नीति निर्धारकों का जानमानस का ईश्वरीय रुप की अनुभूति का होना , उनका प्रगाढ विश्वास होना कि हर मनुष्य में ईश्वर का , खुदा का वास होता हैं , उन्हें प्रसन्न करने में कोई भी त्रूटी हो , धिक्कार हैं हमें , मात्र यही भावना ही भारत को आर्थिक रुप से मजबूती प्रदान कर सकती हैं जो की नितांत असंभव कार्य है|
यदि ऐसा न हो पाये तो कम से कम इंसान समझ कर नरसिम्हा राव कार्यकाल के प्राय: हर मामलों के मुखिया रहे श्री ए एन वर्मा व श्री नरेश चन्द्रा जी की तरह जनहित में स्पष्ट मेमो लिखना सीख लें , ज़िसका वर्तमान सरकार में नितांत अभाव हैं | कोरोना काल में नित्य नए बदलते मेमो इसके सशक्त उदाहरण हैं चुकि यहां 1985-87 के अधिकतर सचिवों के हाथ में वास्त्विक आर्थिक रुप रेखा को धरातल पर लाने इनमें जज्बात का नितांत अभाव हैं | ये पब्लिक को मात्र बेले डांस दिखा करे फिलहाल लौक डाउन काल में सत्ता का मजा लेना सीख रहे हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें