हथिनी मर गयी
एक हथिनी हैवानियत का शिकार हो गयी , इसका मुझे दुख है किंतु इससे भी कई गुना ज्यादा दुख मुझे इस बात का है कि आज इस संदर्भ में राहुल गांधी तक से सवाल पूछने वाले लोगों की संवेदनायें उस वक़्त कहाँ चली गयी थी जब रेल लाइन में , ट्रेन में , सड़क पर , ट्रक दुर्घटना से , भूख से , प्यास से एक http//multi135.blogspot.com नही सैकडो मजदूर मात्र शासन की लापरवाही से वक़्त के हाथों कत्ल हो रहे थे | उस वक़्त को थामने में सक्षम , मजदूर पक्ष में बड़ी बड़ी बात करने वाले , उसके पैरों तले बिछ जाने वाले उस वक़्त चुप क्यों थे | यह कैसी राजनीति हो रही है | हम किधर जा रहे है |
डा. वासु देव यादव
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