वास्त्विक पप्पू
नीति निर्धारक भारत सरकार टूट गए चकले बेलन से भारत के लिये रोटियां बना रही है , परिणाम में यत्र तत्र सर्वत्र भूख से ही सम्बंधित समस्त अराजकता फैल रही है |
स्टेट ऑफ वर्किंग इन्डिया के अनुसार 80% लोग 10000 से कम कमाते हैं | विश्व बैंक के वर्ल्ड ड़ेवलपमेंट इन्डीकेटर के अनुसार 75% भारतीय असुरक्षित रोजगार में हैं | नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार देश के एक तिहाई लोग रोजी मजदूरी करते हैं |
यही कारण था कि अचानक हुए नोटबंदी की तरह अचानक हुए लौक डाउन से भारत की एक तिहाई जनता सड़क पर आने को मजबूर हो गयी ज़िससे कोरोना संक्रमन बड़ी तेजी से हिंदुस्तान में अपने भयावह रुप में आ गयी | मरकजी के लोगों ने इसमें आग में घी का काम किया और सरकार की अव्यवस्था ने इसमें मिरची छिड़क दी |
विश्व तो दो आपदायों से घिरी थी किंतु भारत अपने हाथों स्वसर्जित तीन आपदायों से घिर चुकी थी 1 स्वास्थ्य आपदा . 2 आर्थिक आपदा 3 मानवीय आपदा | इसमें सबसे दुखद पहलू या हास्यास्पद कहें कि भारत सरकार को खुद गुमान नही था कि ऐसा हो जायेगा , जैसे कि वो विदेशी शासक हो और उन्हें भारत की आर्थिक , भोगोलिक स्थिति का ग्यान न हो | यह तो वही बात हुई कि ड्राईविंग आती नही थी और कार थमा दी , दुर्घटना तो होनी ही थी |
उपरोक्त कथन से शायद यह स्वमेव ही स्पष्ट है कि हिन्द का वास्तविक पप्पू इनकी ही टीम से ही है , तभी तो आज भारत रक्त रंजित सड़क पर अपनी ही कारवां की लाशों को लांघता हुआ रक्त रंजित रोटियां खाने को विवश है और मासूम अंजाने में अपनी माँ की लाश को चुम्मी देने में ....| आप क्या कहेंगें इस संदर्भ में ?
Dr. Vasu deo yadav
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