शनिवार, 16 मई 2020
Meri bhawnayein
यह आलेख सत्य घटनायो पर आधारित उनका प्रतिरूप है | सकारात्मक विचार मन कितना उल्लसित कर देते है , ये शब्द इनके गवाह हैं और भविष्य में भारत सरकार की योग्यता का आकलन उनके उठाये गए कदम स्वयं करेगें | गौर फरमाये -.
कोयलिया फिर कुकने लगी | गिलहरियां उछल उछल कर चढने लगी फिर पेडों पर ..... झूमने लगे वन वृक्ष पुनः मस्ती में | स्वच्छ नदियां इठलाने लगी , इतराने लगी हवायें भी , धरा मन भावन सी लगने लगी | निशा भी रात रानी सी महक गयी .... और ....न्नही .. चिडिया ..... बाग बाग - बाग चहक गयी | रेल की पटरियां भी सुस्ताने लगी .... बीच बीच में , रन - वे .... भी मुस्कराने लगा | सड़को ने फैला दी .... अपनी बाहें ..,. वनराज भी खुल कर विचरने लगा | बीमारियों , दूर्घटनायों से मौत में अप्रत्यासित गिरावट , मन प्रसन्नता से हत्प्रभ है | सदमे में हम क्यूँ रहे .... लौक डाउन से , लौक डाउन को सदमे में रहना है | हम अपनी प्रतिरोधक क्षमता आयुर्वेद व योगा से बढा लेगे | कोरोना को हम देंगे मौत , यह दुनिया को बता देंगे | चीन क्या है .... भारत के मनोबल के समक्ष , उसे हम धूल चटा देंगे | स्थापित होंगे विदेशी उद्योग कल - कारखाने अब भारत में , हम उसकी जाल बिछा देंगें | नौकरियां तो यूँ ..... यूँ आयेंगी नवयुवकों के पास | हम आसमान में तिरंगा फहरा देंगें |
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Padam shree mukutdhar Pandey ji
*पदम श्री मुकुटधर पाण्डेय जी पर शोध पत्र* -----पगडंडियों मे धूप की तपन गांव के जिंदा होने का बोध कवि हृदय में भारत के स्पंदन का प्रमाण देती...
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