प्रेम चन्द मुंशी जी के सम्मान में एक लघु समीक्षा ---
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धान की बालियों में सांस लेती मुंशी प्रेम चंद जी की कहानियां पगडन्डियों पर ताय ताय चलती , एक मोड पर अंगड़ाई सी लेती , खेत की मेड़ पर आ कर एक पल को ठहर सी ज़ाती हैं .......मानो फेफड़ों में खेतों की सौंधी महक को एकदम से भर लेना चाहती हो .. फिर छपाक से खेतों में कुद ज़ाती हैं |
उनके अप्रतिम रुप को आत्मसात करने के लिए किसान भी भावविहल हो उठता हैं|
हलधर के मन में छिपे दर्द को उकेरने में ब्यस्त खेतों में चलते उनके कलम को देख कर किसान भी अपने अस्तित्व को देश की धुरी में महसुस करता हैं |
उनकी रचनाओं का जादू अाज भी प्रासंगिक हैं जैसे एक बालक को उसकी मनपसंद टाफी मिल जाए तो वह खिलखिला उठता हैं , वैसे ही अाज भी उनकी रचनायें सरसों के खेत में पीली चादर बिछा कर किसानों का स्वागत करते यत्र तत्र सर्वत्र दिख जायेंगी |
by Dr vasu Dev Yadav
raigarh (c.g)
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