मंगलवार, 11 अगस्त 2020

मुंशी प्रेम चंद जी

 प्रेम  चन्द  मुंशी  जी  के  सम्मान में    एक  लघु  समीक्षा ---

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 धान  की  बालियों  में  सांस  लेती  मुंशी प्रेम  चंद  जी  की  कहानियां  पगडन्डियों   पर  ताय  ताय  चलती , एक  मोड  पर  अंगड़ाई  सी  लेती  , खेत  की  मेड़  पर  आ  कर  एक  पल  को  ठहर  सी  ज़ाती  हैं .......मानो  फेफड़ों  में   खेतों  की   सौंधी  महक को  एकदम  से  भर  लेना  चाहती  हो ..  फिर  छपाक  से  खेतों  में  कुद  ज़ाती  हैं |


उनके  अप्रतिम  रुप  को  आत्मसात  करने  के  लिए  किसान  भी  भावविहल  हो  उठता  हैं|


 हलधर के   मन  में  छिपे  दर्द  को उकेरने  में  ब्यस्त   खेतों   में चलते उनके   कलम  को  देख  कर   किसान  भी  अपने  अस्तित्व को  देश  की  धुरी  में  महसुस  करता  हैं |


उनकी  रचनाओं  का  जादू  अाज  भी प्रासंगिक हैं   जैसे  एक  बालक  को   उसकी  मनपसंद  टाफी  मिल  जाए  तो  वह  खिलखिला  उठता  हैं  , वैसे  ही  अाज  भी  उनकी   रचनायें   सरसों  के  खेत  में  पीली  चादर  बिछा  कर   किसानों  का  स्वागत  करते  यत्र  तत्र  सर्वत्र  दिख  जायेंगी |


 by Dr vasu Dev Yadav 

raigarh (c.g)

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